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इस दिन सोने-चांदी के आभूषण और बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है. लोग नई गाड़ियां भी इसी दिन खरीदना पसंद करते हैं |
हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास की तेरस यानी कि 13वें दिन धनतेरस मनाया जाता है. इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा का विधान है. इस दिन सोने-चांदी के आभूषण और बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है. लोग नई गाड़ियां भी इसी दिन खरीदना पसंद करते हैं. आइए जानते हैं इस बार धनतेरस की तिथि और शुभ मुहूर्त क्या है|

भगवान विष्णु के ही अंशावतार तथा देवताओं के वैद्य भगवान धन्वन्तरि का प्राकट्य कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी को हुआ था। इसलिये इस दिन इस पर्व को प्रदोष व्यापिनी तिथि के रूप में मनाने का विधान है। इस दिन परिवार में आरोग्यता को बनाये रखने के लिए घर के मुख्य दरवाजे पर यमदेवता का स्मरण करते हुऐ दक्षिण मुख होकर अन्न आदि रखकर उस पर दीपक को प्रजवलित कर स्थापित करना चाहिए। सभी गृहस्थों को इसी अवधि के दौरान ‘ॐ नमो भगवते धन्वंतराय विष्णुरूपाय नमो नमः मंत्र द्वारा पूजन अर्चन करना चाहिए जिसके फलस्वरूप आपके परिवार में दीर्घआयु एवं आरोग्यता बनी रहती है।
धन्वन्तरी जयंती या धनतेरस को मनाये जाने के सन्दर्भ में एक पौराणिक घटना आती है, कि पूर्वकाल में देवराज इंद्र ने अज्ञान वश अपने अभद्र आचरण द्वारा महर्षि दुर्वासा का अपमान कर दिया था। जिससे क्रोधित हो उन्होंने इंद्र को तीनों लोकों से श्रीहीन होने का श्राप दे दिया था, जिसके फलस्वरूप अष्टलक्ष्मी पृथ्वी से विलुप्त हो अपने लोक को चलीं गयीं। तीनो लोको के श्रीहीन होने के कारण सभी देवता पुनः तीनो लोकों में श्री की स्थापना करने के उद्देश्य से व्याकुल होकर त्रिदेवों के पास गए और उनसे इस संकट से उबरने का उपाय पूछा। तब महादेव ने सभी देवों को समुद्रमंथन करने का सुझाव दिया जिसे सभी देवताओं और दैत्यों ने सहर्ष ही स्वीकार कर लिया।
समुद्र को मथने लिये मंदराचल पर्वत को मथानी बनाया गया तथा नागों के राजा वासुकी को मथानी बनाया गया। इसमें सभी दैत्य वासुकी नाग के मुख की ओर तथा सभी देवता उनकी पूंछ की ओर थे, इसके साथ ही समुद्र मंथन को आरम्भ किया गया। समुद्रमंथन से चौदह प्रकार के प्रमुख रत्नों की उत्पत्ति हुई जिनमें से चौदहवें रत्न के रूप में स्वयं भगवान धन्वन्तरि प्रकट हुए जो अपने हाथों में अमृत का कलश लिए हुए थे। भगवान विष्णु ने इन्हें सभी देवताओं का वैद्य और समस्त वनस्पतियों तथा औषधियों का स्वामी नियुक्त किया। इन्हीं के वरदान से ही सभी वृक्षों और वनस्पतियों में रोगनाशक शक्ति का प्रादुर्भाव हुआ है।
धनतेरस के दिन क्या करें –
धनतेरस की पौराणिक एवं प्रामाणिक कथा
भारत सरकार ने इस दिन को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस
धनतेरस के महत्व को समझते हुऐ ही भारत सरकार ने इस दिन को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। जैन पंथ के अनुसार जैन आगम में धनतेरस को ‘धन्य तेरस’ या ‘ध्यान तेरस’ कहा जाता हैं। ऐसी मान्यता हे इसी दिन भगवान महावीर निरोध योग को सिद्ध करने के लिये ध्यान में चले गये थे। तीन दिन के ध्यान के बाद निरोध योग को सिद्ध करते हुये दीपावली के दिन ही वो निर्वाण को प्राप्त हुये थे। तभी से यह दिन धन्य तेरस के नाम से भी प्रसिद्ध हुआ।