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ट्रैक – टू कूटनीति क्या है ?
आमतौर पर कूटनीति में दो देशों की सरकारों तथा सरकारी संस्थाओं के बीच अपने हितों की पूर्ति के लिए अन्त क्रिया की जाती है . सरकारी संस्थाओं के बीच इस प्रकार की अन्तक्रिया को ट्रैक – वन कूटनीति के नाम से जानते हैं , लेकिन इसके विपरीत कई बार दो देशों के बीच सम्बन्ध इतने खराब हो जाते हैं कि वे आपस में अन्तक्रिया नहीं करते हैं ऐसी स्थिति में इन देशों के बीच सम्बन्धों को सामान्य बनाने के लिए अथवा तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों की निजी संस्थाओं अथवा व्यक्तियों जैसे पत्रकार अधिकारी कलाकारों आदि के द्वारा वार्ताओं के जो प्रयास किए जाते हैं , उन्हें ट्रैक – टू कूटनीति के नाम जानते है , ऐसा नहीं है कि ट्रैक – टू वार्ताओं के बारे में सरकार को जानकारी नहीं होती , बल्कि सरकारें इस प्रकार के प्रयासों को प्रोत्साहित करती है , लेकिन उनमें भाग नहीं लेती है |
ट्रैक – टू कूटनीति
ट्रैक – टू कूटनीति का विचार सबसे पहले अमरीका के दो विद्वानों जोसेफ माण्टविले तथा विलियम डेविडसन ने अमरीका की पत्रिका ‘ फारेन पालिसी ‘ में 1981 में प्रकाशित अपने लेख ‘ फारेन पॉलिसी एकार्डिंग टू फ्रायड ( Foreign Policy According to Freud ) में दिया था बाद में यह विचार अनौपचारिक कूटनीति के लिए लोकप्रिय हो गया . ट्रैक – टू कूटनीति का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें वास्तविकताओं को लचीले अन्दाज में स्वीकार किया जाता है . यह इस मान्यता पर आधारित है कि कोई भी सामान्य बुद्धि वाला व्यक्ति सही तर्क को स्वीकार कर सकता है . सरकारें अपनी प्रतिष्ठा के कारण कई बार सही तर्क को स्वीकार नहीं करती तथा अडियल रुख अपना लेती है अतः ट्रैक – टू कूटनीति ऐसी स्थिति में देशों के मध्य अन्तक्रिया का एक लचीला व अनौपचारिक विकल्प प्रस्तुत करती है|
ट्रैक – टू कूटनीति शब्द
ट्रैक – टू कूटनीति से मिलता – जुलता एक शब्द ट्रैक – 1-5 कूटनीति है , जिसमें दो देशों के बीच सरकारी व गैर – सरकारी संस्थाओं दोनों की मिलीजुली अन्त:क्रिया होती है |
ट्रैक – टू कूटनीति भारत व पाकिस्तान के सम्बन्धों में
ट्रैक – टू कूटनीति का जिक्र भारत व पाकिस्तान के सम्बन्धों में अक्सर आता है , क्योंकि इन दोनों देशों के बीच सरकारी वार्ताओं में गतिरोध की स्थिति अक्सर उत्पन्न होती रहती है भारत व पाकिस्तान के बीच पहली बार ट्रैक – टू कूटनीति की शुरूआत सबसे पहले 1991 में हुई थी जिसे नीमनारा वार्ताओं के नाम से जानते हैं . नीमनारा दिल्ली – जयपुर हाईवे पर स्थित एक तहसील स्तर का कस्बा है , जहाँ स्थित ऐतिहासिक नीमनारा फोर्ट में इन वार्ताओं का आयोजन किया गया था . कई बार यहाँ इस प्रकार की वार्ताओं का चुका है . वर्तमान में 2018 आयोजन हो में 28-30 अप्रैल को भी भारत व पाकिस्तान के बीच ट्रैक – टू वार्ताओं का आयोजन किया गया था , क्योंकि इस समय सितम्बर 2016 की उड़ी आतंकवादी घटना के बाद भारत व पाकिस्तान के बीच सरकारी स्तर पर वार्ताओं में गतिरोध बना हुआ है |
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